अवनीश के गीतों को पढ़कर लगता है कि उनके पास अनुभूतियों एवं शब्दों का वृहद् कोश है। सहज प्रतीकों, टटके बिम्बों और अभिधा भाषा का सन्तुलित प्रयोग उनकी रचनाओं को संप्रेषणीय एवं सुगम्य बना देता है। प्रायः छोटे-छोटे छन्द और न्यूनतम शब्दों में कथ्य को निरुपित करने की कला में निपुण इस कवि के गीतों में जहाँ वैश्विक सौहार्द्र दिखाई पड़ता है, वहीं सामाजिक विसंगतियाँ और विद्रूपताएँ भी चित्रित हैं। मेरी कामना है कि अवनीश चैहान महासिन्धु से विशाल हों और नागराज से शिखरस्थ हों।
- मधुकर अष्ठाना
विद्यायन, एस-एस- 108-109
सेक्टर-ई, एल डी ए कालोनी
कानपुर रोड, लखनऊ
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