Monday 14 October 2013

पगडंडी - अवनीश सिंह चौहान


सब चलते चौड़े रस्ते पर 
पगडंडी पर कौन चलेगा?

पगडंडी जो
मिल न सकी है
राजपथों से, शहरों से
जिसका भारत
केवल-केवल
खेतों से औ' गाँवों से

इस अतुल्य भारत पर बोलो
सबसे पहले कौन मरेगा?

जहाँ केन्द्र से
चलकर पैसा
लुट जाता है रस्ते में
और परिधि
भगवान भरोसे
रहती ठण्डे बस्ते में


मारीचों का वध करने को
फिर वनवासी कौन बनेगा?

कार-क़ाफिला
हेलीकॉप्टर
सभी दिखावे का धंधा
दो बित्ते की
पगडंडी पर
चलता गाँवों का बन्दा

कूटनीति का मुकुट त्यागकर
कंकड़-पथ को कौन वरेगा?


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नवगीत संग्रह ''टुकड़ा कागज का" को अभिव्यक्ति विश्वम का नवांकुर पुरस्कार 15 नवम्बर 2014 को लखनऊ, उ प्र में प्रदान किया जायेगा। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष उस रचनाकार के पहले नवगीत-संग्रह की पांडुलिपि को दिया जा रहा है जिसने अनुभूति और नवगीत की पाठशाला से जुड़कर नवगीत के अंतरराष्ट्रीय विकास की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो। सुधी पाठकों/विद्वानों का हृदय से आभार।