Saturday 20 February 2021

क्रम

पुस्तक: टुकड़ा कागज़ का 
              (नवगीत-संग्रह) 
ISBN 978-81-89022-27-6
कवि: अवनीश सिंह चौहान 
प्रकाशन वर्ष: प्रथम संस्करण-2013 
पृष्ठ : 119
मूल्य: रुo 125/-
प्रकाशक: विश्व पुस्तक प्रकाशन  
304-ए,बी.जी.-7, पश्चिम विहार,
नई दिल्ली-63 
वितरक: पूर्वाभास प्रकाशन
चंदपुरा (निहाल सिंह
इटावा-206127(उ प्र) 
दूरभाष:- 09456011560
ई-मेल: abnishsinghchauhan
@gmail.com  


पुस्तक: टुकड़ा कागज़ का (नवगीत-संग्रह) 
ISBN 978-93-83878-93-2
कवि: अवनीश सिंह चौहान 
प्रकाशन वर्ष: द्वितीय संस्करण-2014 (पेपरबैक)
पृष्ठ : 116
मूल्य: रुo 90/-
प्रकाशक: बोधि प्रकाशन, जयपुर
Phone: 0141-2503989, 09829018087

Book: Tukda Kagaz Ka (Hindi Lyrics)
ISBN 978-93-83878-93-2
Author: Abnish Singh Chauhan
First Edition: 2014 (Paperback)
Price: 90/-
Publisher: Bodhi rakashan, 
Jaipur, Raj, India.

 बूँद-बूँद घट
19. माँ


8 comments:

  1. पुस्तकों का हेतु रसिक व जागरुक पाठकों से आवश्यक अनुमोदन की चाहना भी होता है. अतः एक सार्थक पुस्तक को समृद्ध पाठकों तक पहुँचाया जाना साहित्यिक दायित्व भी है. इस दायित्वपूर्ति के क्रम में आप द्वारा अपने काव्य-संग्रह ’टुकड़ा काग़ज़ का’ को ई-पुस्तक का प्रारूप दिया जाना एक महत्त्वपूर्ण कदम तो है ही, लेखक-पाठक के मध्य संवाद हेतु नवीन माध्यम को अपनाया जाना भी है.
    आजके लिहाज से इस आवश्यक कदम को अपनाने के लिए हार्दिक बधाई और रचनाकर्म के लिए पुनः आत्मीय शुभकामनाएँ, भाई अवनीशजी.
    शुभ-शुभ

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  2. पुस्तक को हाथ में लेकर पढने का आनंद ई-पुस्तक में तो नहीं परन्तु, विकल्प के रूप में यह बहुत अच्छा माध्यम है जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग पढ़ सकें. पुस्तक के लिए हार्दिक बधाई.

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  3. अवनीश भाई की किताब हाथ लेकर पढने की इच्छा जागी है....सद्लेखन....सादर

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  4. टुकडा कागज का संंग्रह के लिये बधाई

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  5. दिखने में जो शांतप्रिय, सद् विचार के कोष।
    बातचीत संवाद में, करते सच का घोष।।
    मुखमंडल जैसे अभी-, अभी खिला हो प्रात।
    कहने को अवनीश हैं, संतों-सा संतोष।।

    - वीरेंद्र आस्तिक, कानपुर

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  6. "आज वैश्विक पटल पर बड़े सर्जकों की जो चिंताएँ हैं, अवनीश सिंह चौहान उनमें बराबर भागीदार हैं। अपने गीतों के जरिये वे इन चिन्ताओं को स्वर देते हैं। साझी सोच के बावजूद कवि अवनीश सिंह चौहान का का शिल्प सबसे अलग है। कह सकते हैं कि कवि स्वनिर्मित मार्ग पर चलता है। लोकप्रचलित लय और काॅमन कथ्य से समझौता न करते हुए मौलिक और परिपक्व दृष्टि के परिचायक हैं अवनीश सिंह के गीत। लोक तथा जन और प्रगतिशील भाषा का समन्वय भाव है कवि का भाषा-मुहावरा। उसका प्रयत्न श्लाघनीय है। यह प्रयत्न सायास न होकर अनायास ही है, जैसे अनायास होती है बच्चों की सोच। अध्ययनशीलता एवं चिन्तन-मनन के द्योतक हैं उनके मधुर गीत। परिवेश को उसने भी खुली आँखों से देखा, भुगता है। पर इनमें साहित्य का छाद्मिक चातुर्य नहीं, निर्दाेष मन की झलक है। यही झलक पाठकों की दिलचस्पी बन जाती है।"

    मधुर गीतकार, कवि अवनीश सिंह चौहान को उनके जन्मदिवस पर असीम शुभकामनाएं !

    - बोधि प्रकाशन, जयपुर

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  7. (04 जून 2021 को फेसबुक पर टिप्पणी)

    चुनौतियां कितनी भी बड़ी क्यों न हों, आपके उत्साह के आगे सभी बौनी हैं। जो अपने संघर्ष की मिसाल पेश करते हैं, वे नए रास्ते बनाते हैं। बनी बनाई लीक पर चलना आपकी फितरत में नहीं है।आपकी रचनात्मक ऊर्जा के अप्रत्याशित स्तर, अवधारणात्मक तथ्यपरक ज्ञान और समावेशी व्यक्तित्व की अद्भुत उदारता आश्चर्य का विषय है। जहां एक तरफ आपके समृद्ध शैक्षिक अवदान, अतुलनीय आधिकारिक सहजता व उत्कृष्ट अकादमिक चिंतन जैसे दुर्लभ चारित्रिक गुण जनमानस को अभिप्रेरित करते हैं तो दूसरी ओर आपकी वैचारिक विदग्धता, बौद्धिक कुशलता व सबके साथ असाधारण सामंजस्य की खूबी सार्वजनिक हिताय होकर सभी को आनंदित, आल्हादित, उमंगित व तरंगित करती है। वंचितों के जीवन को परिवर्तित करने के आपके अथक निश्वार्थ समर्पित प्रयास सभी के लिए कौतूहल, अनुकरण व शोध का विषय है जिनकी नकल हो सकती है पर बराबरी कभी नहीं। अगर शुभेच्छा पुष्प होती तो आपके लिए हम सबने हजारों चुन लिए होते। अगर आप जैसे लोग नहीं होते तो समस्त नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाले संस्थान खंडहर हो गए होते। आज का दिन तो आपके जीवन मंज़िल का एक सामयिक पड़ाव भर है, जहां खड़े होकर हम सब आपके भविष्य के सपनों के लिए आपको और अधिक प्रभावी, विवेकशील व नैसर्गिक सौंदर्य से प्रेरक बने रहने की दुआ करते हैं। आपके विषम परिस्थितियों में उत्साहपूर्ण भविष्यदृष्टा विरले नेतृत्व, मिशनरीवत कार्यसिद्धि हेतु लगन और समर्थन के विशेषाधिकार प्राप्त संरक्षण से बहुतेरे लाभान्वित हुए हैं जिनकी एक लंबी फेहरिस्त है। आपके पवित्र कार्यों, बहुआयामी आकर्षक व्यक्तित्व की आभा व पर सतत सक्रियता के केंद्र में हमेशा मानवीय संवेदनाएं रही हैं। स्वयं हमने आपसे अपने जीवन को वस्तुपरक, लक्ष्य केंद्रित व स्वाभाविक रूप से सरल बनाने में आपसे बहुत कुछ सीखा है। आपके व्यक्तित्व की समग्रता सभी के लिए प्रेरणा का सदैव स्त्रोत बनी रहेगी। आप ईश्वर के अनंत आशीर्वादों का भाजन बनी रहें, ऐसी हमारी उत्कंठा है, आकांक्षा है और कामना है। आपको सामाजिक व शैक्षिक जिम्मेदारी उठाने की सभी सिद्धियां ईश्वर प्रदान करे। अवनीशजी आपको जन्मदिन की असीम हार्दिक शुभकामनाएं।

    - प्रो अमर सिंह, छत्तीसगढ़

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नवगीत संग्रह ''टुकड़ा कागज का" को अभिव्यक्ति विश्वम का नवांकुर पुरस्कार 15 नवम्बर 2014 को लखनऊ, उ प्र में प्रदान किया जायेगा। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष उस रचनाकार के पहले नवगीत-संग्रह की पांडुलिपि को दिया जा रहा है जिसने अनुभूति और नवगीत की पाठशाला से जुड़कर नवगीत के अंतरराष्ट्रीय विकास की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो। सुधी पाठकों/विद्वानों का हृदय से आभार।