Friday 24 March 2023

नवगीत : संवादों के सारांश — अवनीश सिंह चौहान


नवगीत : संवादों के सारांश

(Navgeet: Samvadon Ke Saransh)

लेखक : अवनीश सिंह चौहान 
प्रकाशन वर्ष : 2023 
पृष्ठ : 152, मूल्य : रु. 350/-
ISBN : 978-93-91984-32-8 
प्रकाशक : प्रकाश बुक डिपो, बरेली (उ.प्र.)
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"नवगीत विधा से संबंधित अपनी जिज्ञासाओं को शांत करने तथा अपनी समझ को विकसित करने के लिए मैंने देश-दुनिया में प्रतिष्ठित चौदह नवगीतकारों— सत्यनारायण, मधुकर अष्ठाना, गुलाब सिंह, कुमार रवीन्द्र, मधुसूदन साहा, मयंक श्रीवास्तव, शान्ति सुमन, राम सेंगर, नचिकेता, वीरेन्द्र आस्तिक, रामनारायण रमण, बुद्धिनाथ मिश्र, रामसनेहीलाल शर्मा 'यायावर' तथा ओमप्रकाश सिंह से सन 2009 से 2022 के दौरान समय-समय पर विस्तार से 'ऑनलाइन' और 'ऑफलाइन' संवाद किया। नवगीतकारों के आयुक्रम के अनुसार रखे गए संवादों की इस सारगर्भित, सुनियोजित एवं दीर्घकालिक प्रक्रिया में जो उत्तर मिले, वे कई बार इतने व्यापक रहे कि उन सबको विज्ञ पाठकों के समक्ष जस-का-तस रखना, उचित नहीं लगा। इसलिए इस पुस्तक में 'सार-सार को गहिते' हुए उन सभी महत्वपूर्ण संवादों के सारांश ही संग्रहीत किये जा सके हैं। 

नवगीत के समर्पित शब्द-साधकों से हुए संवादों पर केंद्रित इस पुस्तक में जिस प्रकार के मौलिक, विविधतापूर्ण एवं समसामयिक विधागत प्रश्न दिए गए हैं, वैसे ही उनके उत्तर हैं। सटीक, सार्थक एवं उपयोगी। कहने का अभिप्राय यह कि भाषा बदलकर प्रश्नों को प्रस्तुत कर या प्रश्नों की पुनरावृत्ति कर नवगीतकारों से संवाद करने की विद्यमान परिपाटी से अलग हटकर इस पुस्तक में बहुआयामी एवं प्रासंगिक प्रश्नोत्तरों को संकलित किया गया है, ताकि विधागत बिंदुओं पर रोचक एवं रचनात्मक संवाद हो सके। इस पुस्तक में संग्रहीत संवाद कितने रोचक एवं रचनात्मक हैं, यह तो संवाद-रसिक ही बता सकेंगे— इसलिए करबद्ध होकर यह सब उन्हीं पर छोड़ता हूँ। इन सभी संवादों के दौरान प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से पत्र-पत्रिकाओं के संपादकों-प्रकाशकों सहित जिन सहयात्रियों एवं सुधीजनों का स्नेह और सहयोग मिला है, उन सबके प्रति मैं श्रद्धावनत हूँ।" — अवनीश सिंह चौहान 
Navgeet Samvadon Ke Saransh by Abnish Singh Chauhan

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नवगीत संग्रह ''टुकड़ा कागज का" को अभिव्यक्ति विश्वम का नवांकुर पुरस्कार 15 नवम्बर 2014 को लखनऊ, उ प्र में प्रदान किया जायेगा। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष उस रचनाकार के पहले नवगीत-संग्रह की पांडुलिपि को दिया जा रहा है जिसने अनुभूति और नवगीत की पाठशाला से जुड़कर नवगीत के अंतरराष्ट्रीय विकास की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो। सुधी पाठकों/विद्वानों का हृदय से आभार।