Monday 14 October 2013

कविता - अवनीश सिंह चौहान

हम जीते हैं
सीधा-सीधा 
कविता काट-छाँट करती है

कहना सरल कि
जो हम जीते
वो लिखते हैं
कविता-जीवन
एक-दूसरे में
ढलते हैं

हम भूले
जिन खास क्षणों को
कविता याद उन्हें रखती है

कविता
याद कराती रहती है
वे सपने
बहुत चाहने पर जो
हो न सके
हैं अपने

पिछड़ गए हम
शायद - हमसे
कविता कुछ आगे चलती है




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