Thursday, 12 October 2017

नये प्रयोगों से लैस गीत-संग्रह 'टुकड़ा काग़ज़ का' - सुधांशु जी महाराज


विश्व जागृति मिशन : आनंद धाम, दिल्ली में अन्तरराष्ट्रीय गणेश-महालक्ष्मी महायज्ञ के अवसर पर परम पूज्य आचार्य श्री सुधांशु जी महाराज से मिलने का सौभाग्य पिछले शुक्रवार (अक्टूबर 06, 2017) को मिला। अवसर था श्रद्धेय देवेंद्र देव जी का गीत-संग्रह 'आवाज दे रहा महाकाल' का लोकार्पण।

लोकार्पण के पश्चात उदारमना, युग ऋषि सुधांशु जी महाराज से पुनः उनके आश्रम के एक कक्ष में मुलाकात हुई, तो इच्छा जगी कि उन्हें अपना गीत संग्रह #टुकड़ा-काग़ज़-का# (बोधि प्रकाशन, जयपुर) भैंट कर दूं। भैंट किया। उन्होंने मेरे गीत संग्रह को सहर्ष स्वीकार किया और मुझे अपना आशीर्वाद दिया। कहा कि आपके गीतों में ताज़गी है, भाषा में प्रवाह है, शब्दों में नवीनता है, बिम्ब आकर्षक हैं। उन्होंने मेरे एक गीत 'बच्चा सीख रहा टीवी से/ अच्छे होते हैं ये दाग़' की कुछ पंक्तियां- "टॉफी, बिस्कुट, पर्क, बबलगम/खिला-खिला कर मारी भूख/माँ भी समझ नहीं पाती है/कहाँ हो रही भारी चूक। माँ का नेह/मनाए हठ को/लिए कौर में रोटी-साग/अच्छे होते हैं ये दाग़।" भी पढ़कर सुनायी। और कहा कि वह इस नये प्रयोगों से लैस गीत संग्रह को अपने साथ ले जा रहे हैं। आराम से पढ़ने के लिए। यह सब देख-सुन मैं गदगद हो गया।

कक्ष में उपस्थित आदरणीय आचार्य देवेन्द्र देव जी, कविवर क्रान्त एम एल वर्मा जी, अग्रज कवि शम्भू ठाकुर जी, भाई अमर सोनी जी और उदितेन्दु 'निश्चल' जी की उपस्थिति ने बल दिया। इस आत्मीय प्रक्रिया में श्रद्देय श्री राम महेश मिश्र जी, निदेशक- कार्यक्रम एवं विकास, का ह्रदय से आभार।

- अवनीश सिंह चौहान


A Comment on Tukda Kagaz Ka by Sudhanshu Ji Maharaj

No comments:

Post a Comment

नवगीत संग्रह ''टुकड़ा कागज का" को अभिव्यक्ति विश्वम का नवांकुर पुरस्कार 15 नवम्बर 2014 को लखनऊ, उ प्र में प्रदान किया जायेगा। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष उस रचनाकार के पहले नवगीत-संग्रह की पांडुलिपि को दिया जा रहा है जिसने अनुभूति और नवगीत की पाठशाला से जुड़कर नवगीत के अंतरराष्ट्रीय विकास की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो। सुधी पाठकों/विद्वानों का हृदय से आभार।