Thursday, 16 September 2021

'नवगीत वाङ्मय' पर विद्वानों की टिप्पणियाँ


[अवनीश सिंह चौहान, नवगीत वाङ्मय (Navgeet Vangmay), प्रकाशक : ऑथर्सप्रेस, नई दिल्ली (भारत), प्रकाशन वर्ष : 2021, पृष्ठ : 174, मूल्य : रु. 200/- (After Discount), ISBN : 978-93-5529-004-5]
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'नवगीत वाङ्मय' (ऑथर्सप्रेस, नई दिल्ली) के एमाजॉन पर रिलीज होने की सूचना जब सोशल मीडिया (विशेषकर 'पूर्वाभास', 'क्रिएशन एण्ड क्रिटिसिज्म', 'फेसबुक', 'व्हाट्सएप्प' आदि) में शेयर की गयी तब 500 से अधिक हिंदी और अंग्रेजी भाषी विद्वानों/ सुधीजनों के बधाई/ शुभकामना सन्देश प्राप्त हुए, जिसके लिए हम उन सभी का हृदय की गहराइयों से आभार व्यक्त करते हैं। 

उन सभी बधाई/ शुभकामना संदेशों को यहाँ रख पाना संभव नहीं था, सो उनमें से कुछ संदेशों को चुनकर यहाँ प्रस्तुत किया जा रहा है:-

1. "संपादन-कला के मर्मज्ञ आचार्यों से अपने सतत जुड़ाव के कारण मैं यहाँ यह बात साधिकार लिख रहा हूँ कि डॉ अवनीश सिंह चौहान द्वारा संपादित— 'नवगीत वाङ्मय' में प्रयुक्त संपादन-कला वस्तुतः शिखर-चुम्बी है। शिखर-चुम्बी इसलिए कि इस पुस्तक में प्रस्तुत अभिव्यंजना के प्रत्येक पक्ष (नवगीतकारों का चयन, नवगीतों का चयन, सुगठित टिप्पिणियाँ, लेख, साक्षात्कार आदि) में संपादक ने जिस कौशल को प्रस्तुत किया है, वह सराहनीय ही नहीं, अनुकरणीय भी है। चयन व संपादन कला में दक्षता हेतु संपादक महोदय को मेरी बहुत-बहुत बधाई।" — डॉ विमल, वर्धमान (पश्चिम बंगाल) 

2. "प्रियवर प्रो (डाॅ) चौहान जी, आपके द्वारा संपादित— "नवगीत वाड़्मय" एक विलक्षण संकलन है। आपने नवीनतम पद्धति को अपनाते हुए विवेकपूर्ण ढंग से इस संकलन को चार खंडों में विभक्त किया है ताकि अतीत से अद्यतन नवगीत की दशा व दिशा को रेखांकित किया जा सके। गत दिनों नवगीत पर आधारित एक 'शोध प्रबंध' का मूल्यांकन करते हुए आपके (डाॅ अवनीश सिंह चौहान) नवगीतों का सन्दर्भ पढकर जिज्ञासा हुई कि इतने प्रख्यात, प्रतिभासंपन्न नवगीतकार को अवश्य पढना चाहिए। आपका सद्यः संकलन निस्सन्देह साहित्य जगत के लिए महत्वपूर्ण व उपयोगी सिद्ध होगा। इस हेतु आपको बहुत-बहुत बधाई, मंगलाशीष, मंगलकामनाएँ।" — प्रो (डॉ) पूर्णमल गौड़, पूर्व निदेशक, हरियाणा साहित्य अकादमी, पंचकूला, हरियाणा सरकार

3. "ख्यात साहित्यकार, नवगीतकार अवनीश सिंह चौहान द्वारा संपादित समवेत संकलन- 'नवगीत वाङ्मय' अपेक्षाकृत कम पृष्ठों में अपेक्षित लक्ष्य को पूर्णत्व प्रदान करता है। सम्पादकीय विवेक तथा वस्तु-चयन, घनत्व तथा प्रस्तुति दोनों रूपों में यह ग्रंथ श्रेष्ठ है। पठनीय और सराहनीय है। बधाई एवं शुभकामनाएँ!" — गुलाब सिंह, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)

4. "नवगीत के सरोकारों को व्यापक पटल देकर अंतरराष्ट्रीय स्वरूप देने के लिए अवनीश जी का प्रयास महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक है। एक दिन ऐसा जरूर आएगा जब हिन्दी कविता का मेघाच्छन्न आकाश साफ होगा और छान्दसिक कविता के रूप में नवगीत हिन्दी कविता की प्रमुख पहचान बनेगा। उस दिन गीतकारों से अधिक इसके उद्धर्ताओं को याद किया जाएगा। अवनीश जी का नाम उस सूची में प्रमुख सात व्यक्तियों में होगा।" — डॉ बुद्धिनाथ मिश्र, देहरादून (उत्तराखण्ड)

5. "नवगीत की प्रगतिशीलता को एक नया आयाम देने वाली अद्भुत पुस्तक के लिए आपको आन्तरिक शुभकामनाएँ।" — डॉ मधुसूदन साहा, राउरकेला (उड़ीशा)

6. "नवगीत के विकास के इतिहास में इस पुस्तक का आदर के साथ उल्लेख किया जाएगा। आपके अनुभव, अध्ययन एवं संपादन की समन्वय दृष्टि 'नवगीत वाङ्मय' में देखने को मिलेगी। इस उपलब्धि के लिए हार्दिक बधाई।" — मयंक श्रीवास्तव, भोपाल (मध्य प्रदेश)

7. "आपके प्रयत्न सराहनीय हैं। हार्दिक शुभकामनाएँ।" — राम सेंगर, कटनी (मध्य प्रदेश)

8. "डॉ अवनीश सिंह चौहान एक मजे हुए साहित्यकार हैं। रचनाकारों द्वारा उनके कार्यों को सराहा गया है। यह पुस्तक भी एक नया कीर्तिमान स्थापित करेगी। इस कृति के लिए उन्हें बहुत-बहुत बधाई।" — वीरेन्द्र आस्तिक, कानपुर (उत्तर प्रदेश)

9. "बहुत-बहुत साधुवाद, प्रिय भाई। राधे-राधे। या तो पुस्तक या पुस्तक का सम्पूर्ण विवरण तत्काल मुझे भिजवाएँ। 'नवगीत कोश' का 'द्वितीय खण्ड' इससे सम्पन्न होगा।" — डॉ रामसनेही लाल शर्मा 'यायावर', फिरोजाबाद (उत्तर प्रदेश)

10. "इस महत्वपूर्ण कृति में योगदान के लिए आपको और सम्मिलित रचनाकारों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!" — डॉ ब्रह्मजीत गौतम, गाज़ियाबाद (उत्तर प्रदेश)

11. "युवा नवगीतकार, समीक्षक एवं श्रेष्ठ संपादक प्रियवर अवनीश सिंह चौहान के संपादन में "नवगीत वाङ्मय" शीर्षक से नवगीत संकलन प्रकाशित हुआ है। यह पुस्तक चार खण्डों में विभाजित है। प्रथम खण्ड— 'समारंभ' में तीन संस्थापक नवगीतकारों डॉ शम्भुनाथ सिंह, डॉ शिवबहादुर सिंह भदौरिया व डॉ राजेन्द्र प्रसाद सिंह के तीन-तीन प्रतिनिधि नवगीत हैं, द्वितीय खण्ड— 'नवरंग' में नौ नवगीतकारों— क्रमश: गुलाब सिंह, मयंक श्रीवास्तव, शान्ति सुमन, राम सेंगर, नचिकेता, वीरेन्द्र आस्तिक, बुद्धिनाथ मिश्र, विनय भदौरिया व रमाकांत के नौ-नौ प्रतिनिधि नवगीत संकलित हैं, तृतीय खण्ड— 'अथबोध' में 'नये-पुराने' पत्रिका के यशस्वी संपादक, श्रेष्ठ समीक्षक, नवगीतकार दिनेश सिंह का गीत-नवगीत विमर्श पर केंद्रित सारगर्भित आलेख तथा चतुर्थ खण्ड— 'साक्षात्कार' में संपादक अवनीश जी द्वारा प्रतिष्ठित नवगीतकार डॉ मधुसूदन साहा से  नवगीत के संदर्भ की गई सार्थक वार्ता समाहित है। विश्वास है कि यह संकलन हिन्दी काव्यप्रेमियों के मध्य समादृत होगा तथा नवगीत की विकास यात्रा में अवनीश जी द्वारा किया गया यह श्रमसाध्य कार्य एक नया सोपान साबित होगा।" — डॉ विनय भदौरिया, रायबरेली (उत्तर प्रदेश)

12. "सचमुच यह पुस्तक नवगीत पर एक अद्भुत अभिलेख के रूप में सराही जायेगी। इस सृजन पर अवनीश जी को हार्दिक शुभकामनाएँ।" — राम अवतार सिंह तोमर 'रास', ग्वालियर (मध्य प्रदेश)

13. "संपादकीय क्षमता और पुस्तकीय गुणवत्ता से ही यह संभव हुआ है। नवगीत के उन्नयन में योगदान के लिए हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ।" — सूर्यदेव पाठक 'पराग', गोरखपुर (उत्तर प्रदेश)

14. "बहुत ही सराहनीय कार्य। — डॉ लालताप्रसाद द्विवेदी 'अगम', गौरीगंज (उत्तर प्रदेश)

15. "आपकी साहित्य-सेवा अद्भुत है। हार्दिक बधाई, अवनीश जी।" — शीलेन्द्र कुमार वशिष्ठ, आगरा (उत्तर प्रदेश)

16. "एक समृद्ध साहित्यिक अवदान के लिए बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें भाई डॉ अवनीश सिंह चौहान जी।" — बृजनाथ श्रीवास्तव, कानपुर (उत्तर प्रदेश)

17. "बढ़िया काम। कवर भी अच्छा है। बहुत बधाई!" — रमाकांत, रायबरेली (उत्तर प्रदेश)

18. "श्रद्धेय दिनेश सिंह की छाँव में रहकर आपने नवगीत की जो साधना की है इस संचयन और सम्पादन में निश्चित ही उसका सुफल दमकेगा। एक महत्वपूर्ण कार्य के लिए साधुवाद एवं शुभकामनाएँ।" — राजेन्द्र सिंह ठाकुर, कटनी (मध्य प्रदेश)

19. "बिना किसी खेमेबाजी और पूर्वाग्रह के चुपचाप नवगीत के लिए समर्पित अवनीश सिंह चौहान द्वारा संपादित यह संकलन निश्चित ही नवगीत के प्रति छायी धुंध को हटाने में अपनी सार्थक और अहम भूमिका का निर्वाह कर नवगीत के भविष्य की दिशा निर्धारित करने में सहायक सिद्ध होगा। आपको और संकलन में शामिल सभी नवगीतकारों को हृदय-तल से बधाई एवं कोटि-कोटि शुभकामनाएँ।" — रवि खण्डेलवाल, इंदौर (मध्य प्रदेश)

20. "इस श्रेष्ठ, सुन्दर कार्य के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।" — विजय सिंह, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)

21. "उत्तम कार्य किया है आपने। बहुत-बहुत बधाई अवनीश जी। हार्दिक शुभकामनाएँ भी।" — राजा अवस्थी, कटनी (मध्य प्रदेश)

22. "इस पुस्तक का स्वागत है।" — सौरभ पाण्डेय, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)

23. "इस सुन्दर व महत्वपूर्ण कार्य हेतु हृदयतल से शुभकामनाएँ, भैया।" — रविशंकर मिश्र, प्रतापगढ़ (उत्तर प्रदेश)

24. "उम्मीद है कि आपके द्वारा संपादित यह पुस्तक आपकी अंग्रेजी में लिखित पुस्तकों की तरह आशातीत सफलता प्राप्त करेगी।" — मंजूषा तवासे, इंदौर (मध्य प्रदेश)


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Navgeet Vangmay ed. by Abnish Singh Chauhan

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नवगीत संग्रह ''टुकड़ा कागज का" को अभिव्यक्ति विश्वम का नवांकुर पुरस्कार 15 नवम्बर 2014 को लखनऊ, उ प्र में प्रदान किया जायेगा। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष उस रचनाकार के पहले नवगीत-संग्रह की पांडुलिपि को दिया जा रहा है जिसने अनुभूति और नवगीत की पाठशाला से जुड़कर नवगीत के अंतरराष्ट्रीय विकास की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो। सुधी पाठकों/विद्वानों का हृदय से आभार।