Tuesday, 15 October 2013

केशव मेरे - अवनीश सिंह चौहान

पाना मुझको
जितना, जो भी
तुमको पाना

सखा सहज तुम
केशव मेरे
हर पल यह मन
तुमको टेरे

लगे अधूरा,
जीवन का
तुम बिन हर गाना

मन की सच्ची
अभिलाषा को
दया-क्षमा की
परिभाषा को

जितना, जो कुछ
जाना-माना
तुमको माना

तुमसे जानी
जगत-कहानी
ज्ञान-ध्यान की
महिमा-वाणी

बना मुझे जिज्ञासु
डगर में
छोड़ न जाना



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नवगीत संग्रह ''टुकड़ा कागज का" को अभिव्यक्ति विश्वम का नवांकुर पुरस्कार 15 नवम्बर 2014 को लखनऊ, उ प्र में प्रदान किया जायेगा। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष उस रचनाकार के पहले नवगीत-संग्रह की पांडुलिपि को दिया जा रहा है जिसने अनुभूति और नवगीत की पाठशाला से जुड़कर नवगीत के अंतरराष्ट्रीय विकास की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो। सुधी पाठकों/विद्वानों का हृदय से आभार।