Thursday 13 June 2024

नवगीत संग्रह— "टुकड़ा कागज़ का" का तृतीय संस्करण


"अवनीश चौहान के सृजन में लघु में विराट की यात्रा के संकेत हैं, जहाँ उनकी काल्पनिक, भावुक और नैसर्गिक शक्तियों का, यथार्थ के परिप्रेक्ष्य में समाजीकरण हुआ है। कहना चाहूँगा कि शक्ति का विलय (‘राम की शक्ति पूजा’ आदि के संदर्भ में) महाशक्ति में होना ही निराला का महाप्राण होना है। यहाँ ‘टुकड़ा कागज का’ अन्ततः मिट्टी में गुड़कर महाशक्ति में एक लय हो विलीन हो जाता है। इसी प्रकार कवि के कुछ गीतों में ‘दूब’ और ‘तिनका’ जैसी अति सामान्य चीजें असामान्य बनकर विराट बिम्ब का सृजन करती हैं।" 
वीरेंन्द्र आस्तिक,  वरिष्ठ कवि व आलोचक

पुस्तक: टुकड़ा कागज़ का (नवगीत-संग्रह) 
ISBN: 978-93553-693-90
कवि: अवनीश सिंह चौहान 
प्रकाशन वर्ष : 2013, 2014, 2024
संस्करण : तृतीय (पेपरबैक) 
पृष्ठ : 116
मूल्य: रुo 199/-
प्रकाशक: बोधि प्रकाशन, जयपुर
फोन : 0141-2503989, 09829018087

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समाचार प्रस्तुति :
ओम चौहान सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ़ साउथ बिहार में बीएएलएलबी  पाठ्यक्रम के छात्र हैं। 

Tukda Kagaz Ka (Hindi Lyrics)

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नवगीत संग्रह ''टुकड़ा कागज का" को अभिव्यक्ति विश्वम का नवांकुर पुरस्कार 15 नवम्बर 2014 को लखनऊ, उ प्र में प्रदान किया जायेगा। यह पुरस्कार प्रतिवर्ष उस रचनाकार के पहले नवगीत-संग्रह की पांडुलिपि को दिया जा रहा है जिसने अनुभूति और नवगीत की पाठशाला से जुड़कर नवगीत के अंतरराष्ट्रीय विकास की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो। सुधी पाठकों/विद्वानों का हृदय से आभार।