"अवनीश चौहान के सृजन में लघु में विराट की यात्रा के संकेत हैं, जहाँ उनकी काल्पनिक, भावुक और नैसर्गिक शक्तियों का, यथार्थ के परिप्रेक्ष्य में समाजीकरण हुआ है। कहना चाहूँगा कि शक्ति का विलय (‘राम की शक्ति पूजा’ आदि के संदर्भ में) महाशक्ति में होना ही निराला का महाप्राण होना है। यहाँ ‘टुकड़ा कागज का’ अन्ततः मिट्टी में गुड़कर महाशक्ति में एक लय हो विलीन हो जाता है। इसी प्रकार कवि के कुछ गीतों में ‘दूब’ और ‘तिनका’ जैसी अति सामान्य चीजें असामान्य बनकर विराट बिम्ब का सृजन करती हैं।"
— वीरेंन्द्र आस्तिक, वरिष्ठ कवि व आलोचक
पुस्तक: टुकड़ा कागज़ का (नवगीत-संग्रह)
ISBN: 978-93553-693-90
कवि: अवनीश सिंह चौहान
प्रकाशन वर्ष : 2013, 2014, 2024
संस्करण : तृतीय (पेपरबैक)
पृष्ठ : 116
मूल्य: रुo 199/-
प्रकाशक: बोधि प्रकाशन, जयपुर
फोन : 0141-2503989, 09829018087
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